छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरी, पीएम मोदी ने किया था अनावरण
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को ढह गई। इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना मालवन स्थित राजकोट किले में दोपहर करीब एक बजे हुई। घटना के बाद पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी स्थिति का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे। प्रतिमा के ढहने से हुई क्षति का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतिमा का अनावरण नौसेना दिवस के अवसर पर पिछले साल चार दिसंबर को किया था और किले में आयोजित समारोहों में भी शामिल हुए थे।
मजाल है कोई मिडिया इसे भ्रष्टाचार बोले और भ्रष्टाचार में किस किस का हाथ है? @akhlaquehussai5 @AjayTya17729514 @akhlaquehussai5 @lyadav123456 pic.twitter.com/KH67bCBUA0
— Aashish Aryan(अशीष आर्यन) (@ashisharyan0) August 26, 2024
तेज हवा से गिरी प्रतिमा: शिंदे का बयान
इस घटना के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मीडिया से कहा कि 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं के चलते प्रतिमा गिर गई। उन्होंने बताया कि हमारे संरक्षक मंत्री रवींद्र चव्हाण स्थिति का आकलन करने के लिए मौके पर पहुंचे हैं, और सरकार इस प्रतिमा को और भी मजबूत बनाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रतिमा को नौसेना द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था, और नौसेना के अधिकारी पुनर्निर्माण प्रयासों में भाग लेंगे। रवींद्र चव्हाण ने कहा कि प्रतिमा निर्माण में शामिल सिंधुदुर्ग की फर्म मेसर्स आर्टिस्ट्री के मालिक जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
विपक्ष ने साधा निशाना
एनसीपी (एसपी) ने इस घटना को लेकर महायुति सरकार पर निशाना साधा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार प्रतिमा के ढहने के लिए जिम्मेदार है क्योंकि उसने उचित देखभाल नहीं की। पाटिल ने आरोप लगाया कि सरकार ने काम की गुणवत्ता पर कम ध्यान दिया और केवल एक कार्यक्रम आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें प्रधानमंत्री को प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उनका कहना है कि महाराष्ट्र सरकार सिर्फ नए टेंडर जारी करती है, कमीशन स्वीकार करती है, और उसी के अनुसार अनुबंध देती है।
इस घटना ने महाराष्ट्र सरकार की कार्यप्रणाली और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और विपक्ष के इन आरोपों का क्या जवाब देती है।