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आम और लीची के बागानों में दीमक की समस्या? समाधान के लिए करें क्लोरपाइरिफॉस का छिड़काव

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण कृषि परामर्श जारी किया है। विशेषज्ञों ने बताया कि आम और लीची में मंजर आना शुरू हो गया है, ऐसे में किसानों को बागानों में किसी भी प्रकार की जुताई से बचना चाहिए। जहां दीमक की समस्या हो, वहां क्लोरपाइरिफॉस 20 ईसी (2.5 मिली प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर मुख्य तने और आसपास की मिट्टी में छिड़काव करें।

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फसल सुरक्षा एवं पोषण संबंधी आवश्यक निर्देश:

अरहर की फसल: फल मक्खी कीट से बचाव करें, जो बीजों को नुकसान पहुंचाकर उपज घटा सकती है। इसके लिए करताप हाईड्रोक्लोराइड (1.5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।

केला फसल: सूखी और रोगग्रस्त पत्तियों को हटाकर खेत से बाहर करें। हल्की गुड़ाई के बाद 200 ग्राम यूरिया, 200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति पौधा प्रयोग करें।

पपीता खेती: नर्सरी की तैयारी कर 10-15 फरवरी तक बीज की बुवाई कर दें, ताकि पौधों पर तापमान का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

गर्मी की सब्जियां: खेत की तैयारी करें और 150-200 क्विंटल गोबर खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं। क्लोरपाइरिफॉस 20 ईसी (2 लीटर प्रति एकड़) को 20-30 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में डालें ताकि कजरा पिल्लू से बचाव हो।

आलू की फसल: कटवर्म और कजरा पिल्लू की निगरानी करें। बचाव के लिए क्लोरपाइरिफॉस 20 ईसी (2.5-3 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। बीज वाली फसल की ऊपरी लत्ती की कटाई करें और खुदाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद करें।

मटर की फसल: फली छेदक कीट से बचाव के लिए प्रकाश फंदे और टी-आकार के पक्षी बैठका (15-20 प्रति हेक्टेयर) लगाएं। अधिक संक्रमण होने पर क्विनालफॉस 25 ईसी या नोवाल्युरॉन 10 ईसी (1 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।

किसान इन सुझावों को अपनाकर अपनी फसल की सुरक्षा और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।

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