शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ का बड़ा कदम, पटना के DEO और DPO पर कार्रवाई
केके पाठक के बाद बिहार के शिक्षा विभाग में एसीएस बने एस सिद्धार्थ सरकारी स्कूलों में शिक्षण और सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत हैं। जहां कहीं भी गड़बड़ियां पाई जाती हैं, उन्हें ठीक किया जाता है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाती है। ताजा मामला पटना से जुड़ा है, जहां दो वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
पटना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना अरुण कुमार मिश्रा को कार्य में लापरवाही और शिथिलता के आरोप में शिक्षा विभाग ने निलंबित कर दिया है। अपर मुख्य सचिव को मिली शिकायतों के आधार पर कार्य में अनियमितता के साक्ष्य मिले थे। वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी से पर्यवेक्षण से संबंधित दायित्वों में चूक के मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
15 जुलाई को डीईओ कार्यालय के निरीक्षण के दौरान, शिक्षक-शिक्षिकाओं के मातृत्व अवकाश और बकाया वेतन की संचिकाओं की जांच की गई। निरीक्षण में स्थानांतरण के बावजूद प्रतिस्थानी लिपिकों को पदभार नहीं सौंपने और अन्य आरोपों में लिपिक दिलीप कुमार और गोपाल कुमार को निलंबित किया गया। इसी तरह, लिपिक सुनील कुमार को भी निलंबित किया गया है। इसके अलावा, प्रधान लिपिक करुण सिन्हा और आलोक वर्मा के खिलाफ लापरवाही और अनुश्रवण में कमी के कारण विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में केके पाठक की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। उन्होंने राज्य भर के स्कूलों का निरीक्षण कर कई बड़े कदम उठाए। लेकिन कुछ कारणों से उनके एसीएस के पद से हटा दिया गया और नीतीश कुमार के करीबी 1991 बैच के आईएएस अधिकारी एस सिद्धार्थ को नया एसीएस नियुक्त किया गया। पदभार ग्रहण करने के बाद, एस सिद्धार्थ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और उनका तरीका भी अलग है। वह बिना किसी औपचारिकता के स्कूलों में जाकर बच्चों के शिक्षक बन जाते हैं। हाल ही में, उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह ट्रेन की जनरल बोगी में यात्रा कर रहे थे और लेट से स्कूल आ रही छात्राओं की कक्षा सड़कों पर लगाते दिखे।
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