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मतदाता सूची में स्थायी पते की पुष्टि अनिवार्य, गलत पाए जाने पर नाम काटा जाएगा

मतदाता सूची में स्थायी पते की पुष्टि अनिवार्य, गलत पाए जाने पर नाम काटा जाएगा

राज्य में मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए चुनाव आयोग ने एक विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू किया है। इसके तहत अगले 30 दिनों में 8 करोड़ मतदाताओं के स्थायी पते की जाँच की जाएगी। यदि कोई मतदाता सत्यापन प्रक्रिया में नहीं मिलता है, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। इसके लिए सभी पंजीकृत मतदाताओं को एक गणना फॉर्म भरना होगा, जिसे ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से जमा किया जा सकता है।

गणना फॉर्म में क्या जानकारी देनी होगी?

मतदाताओं को निम्नलिखित विवरण प्रदान करने होंगे:

  • वर्तमान फोटो

  • मोबाइल नंबर (जिससे भविष्य में अपडेट भेजे जा सकें)

  • आधार कार्ड नंबर (वैकल्पिक नहीं)

  • जन्मतिथि (जिसका दस्तावेजी प्रमाण देना होगा)

  • माता-पिता या पति/पत्नी का नाम

  • यदि पहले से मतदाता हैं, तो EPIC (मतदाता पहचान पत्र) नंबर

इस जानकारी की जाँच बूथ लेवल अधिकारी (BLO) द्वारा की जाएगी। प्रत्येक मतदाता को दो फॉर्म भरने होंगे – एक अपने पास रखने के लिए और दूसरा BLO को जमा करना होगा। सत्यापन के बाद, दावों और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा और अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

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कर्मियों के ट्रांसफर पर रोक, विशेष ध्यान पटना पर

चुनाव आयोग ने पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों के स्थानांतरण और नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। यदि किसी जिले में जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO), निर्वाचन पंजीयन अधिकारी (ERO), या सहायक निर्वाचन पंजीयन अधिकारी (AERO) का स्थानांतरण आवश्यक हो, तो उसके लिए आयोग की विशेष अनुमति लेनी होगी।

इस अभियान में पटना शहर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शहर के दीघा, बांकीपुर और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत मात्र 35% है, जबकि राज्य का औसत 57% और राष्ट्रीय औसत 66% है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, इसकी मुख्य वजह मतदाता सूची में गड़बड़ियाँ हैं। अधिकांश लोग किराए के मकानों में रहते हैं और पता बदलने के बाद भी उनका नाम पुराने स्थान पर दर्ज रहता है। इसके अलावा, कई ऐसे लोग हैं जो पटना छोड़कर अन्य शहरों में बस गए हैं, लेकिन उनके नाम अभी भी मतदाता सूची में शामिल हैं। इन त्रुटियों को दूर करने से मतदान प्रतिशत में सुधार की उम्मीद है।

समयसीमा और अगले चरण

  • 26 जुलाई तक: घर-घर जाकर सर्वेक्षण और आवेदन फॉर्म भरवाना

  • 1 अगस्त: मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशित किया जाएगा

  • 1 अगस्त से 1 सितंबर तक: दावे और आपत्तियाँ दर्ज करने की अवधि

  • 30 सितंबर: अंतिम मतदाता सूची जारी

इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए जिला स्तर पर एक छह सदस्यीय कोषांग गठित किया गया है, जिसकी अध्यक्षता जिला विकास आयुक्त (DDC) करेंगे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

चुनाव आयोग ने पटना और मगध प्रमंडल के अधिकारियों को इस अभियान की बारीकियों से अवगत कराने के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया। आयोग के सलाहकार एन.एन. बुटोलिया और मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने अधिकारियों को पुनरीक्षण प्रक्रिया के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया।

निष्कर्ष

यह अभियान मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि आपका नाम मतदाता सूची में है, तो समय रहते अपना सत्यापन करवा लें, अन्यथा आपका नाम हटाए जाने का जोखिम हो सकता है।

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