प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष नवनीत सहगल की प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संभावित नियुक्ति की चर्चाओं ने सियासी हलचल बढ़ा दी है।
इसी मुद्दे पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार से साफ-साफ जवाब मांगा है। पार्टी ने यह मांग न्यूज़लॉन्ड्री की उस रिपोर्ट के संदर्भ में की है जिसमें आयकर विभाग की एक कथित गोपनीय जांच का ज़िक्र है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश की कई योजनाओं के टेंडरों में कथित रूप से कमीशन और रिश्वतखोरी का जाल फैला हुआ था और लगभग 112 करोड़ रुपये की सरकारी राशि विभिन्न माध्यमों से बाहर निकाली गई।

रिपोर्ट में नवनीत सहगल का नाम भी प्रमुख रूप से आने का दावा किया गया है। सहगल 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और जांच अवधि के दौरान कई प्रभावशाली पदों पर तैनात थे। जांच के बाद उन्हें दिल्ली में प्रसार भारती का प्रमुख बनाया गया, हालांकि उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ दिया था।
हम आज ‘जंगल बुक’ के एक पात्र की कहानी बताने जा रहे हैं। हालांकि इस जंगल का राजा शेर नहीं, बल्कि ‘हिरन’ है और यह पात्र हिरन का करीबी है।
हम यूपी में किए गए 112 करोड़ के घोटाले में शामिल जिस पात्र की बात कर रहे हैं, वो देश के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री का भी बहुत प्रिय… pic.twitter.com/8eupWkGES4
— Congress (@INCIndia) December 26, 2025
कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आशंका जताई कि सहगल को पीएमओ में संयुक्त सचिव/ओएसडी (कम्युनिकेशन और आईटी) के पद पर तैनात हीरेन जोशी की जगह लाया जा सकता है। खेड़ा का कहना है कि इतने गंभीर आरोप सामने आने के बाद सरकार को चुप नहीं रहना चाहिए और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कांग्रेस इससे पहले हीरेन जोशी पर भी भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगा चुकी है, जिनका उल्लेख पार्टी सांसद प्रियंका गांधी ने भी किया था।
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि “प्रधानमंत्री कार्यालय में एक संदिग्ध अधिकारी की जगह दूसरे संदिग्ध अधिकारी को लाने की तैयारी की जा रही है” और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताया।
वहीं, नवनीत सहगल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि आयकर विभाग ने पूरी जांच के बाद मामला बंद कर दिया था और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने दोहराया कि लगाए गए दावे मनगढ़ंत हैं और बिना उनके विस्तृत जवाब के किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना अनुचित होगा।
सरकार की ओर से इस विषय पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, और राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर बहस जारी है।