समस्तीपुर में बीपीएससी टीआरई-1 (BPSC TRE-1) और टीआरई-2 (TRE-2) में बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षकों की भर्ती का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। Samastipur Town Media द्वारा इस फर्जीवाड़े को उजागर करने पर यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षा माफियाओं ने तत्कालीन एसीएस केके पाठक की सख्ती को भी नजरअंदाज कर दिया। पाठक की नाक के नीचे टीआरई-1 में कई फर्जी शिक्षक फर्जी रोल नंबर और आईडी नंबर के जरिए बहाल कर दिए गए।
कई ऐसे शिक्षक जो बीपीएससी की परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे या फेल हो गए थे, अब भी नौकरी कर रहे हैं। Samastipur Town Media लगातार इस गड़बड़ी को उजागर कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इतनी सतर्कता के बावजूद यह कैसे संभव हो गया कि बीपीएससी की परीक्षा देने वाला व्यक्ति कोई और था और नौकरी पाने वाला कोई और निकला।
इसके अलावा, एक ही रोल नंबर और आईडी नंबर पर प्राथमिक विद्यालय में भी फर्जी शिक्षकों की बहाली कर दी गई। सवाल उठता है कि बायोमेट्रिक जांच के दौरान यह फर्जीवाड़ा क्यों नहीं पकड़ा जा सका। बायोमेट्रिक जांच की जिम्मेदारी बीपीएम और डीपीएम के पास थी, और सूत्रों के अनुसार, फर्जी शिक्षकों से न केवल भारी रकम वसूली गई, बल्कि बायोमेट्रिक मिलान के नाम पर भी शिक्षा विभाग के कर्मियों और अधिकारियों ने मोटी रकम ली।
तत्कालीन एसीएस केके पाठक ने सभी शिक्षकों को प्रधानाध्यापकों के साथ जिला मुख्यालय में बुलाकर बायोमेट्रिक जांच कराने का निर्देश दिया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूल में पढ़ाने वाला शिक्षक वही है जो परीक्षा में शामिल हुआ था। लेकिन समस्तीपुर में इस प्रक्रिया को भी धांधली कर पूरा कर दिया गया, और फर्जी शिक्षकों से मोटी रकम वसूलने के बाद उनकी बायोमेट्रिक जांच भी पूरी कर दी गई।