“दाखिल खारिज में मनमानी का अंत: कैसे सीओ की बिना कारण अवदेन कैंसिल करने की आदत पर लगेगी रोक!”
बिहार में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया एक जटिल समस्या बन गई है। आवेदनों को बिना उचित सुनवाई के खारिज किए जाने की शिकायतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। आरोप है कि अधिकारी और कर्मचारी इसमें अपनी स्वेच्छाचारिता दिखा रहे हैं। आम धारणा हो गई है कि बिना किसी रिश्वत के दाखिल-खारिज संभव नहीं है। इस पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं। अब ऐसे सीओ के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी। अपर मुख्य सचिव ने नवीन परिमार्जन मॉड्यूल पर मामलों के निष्पादन का आदेश दिया है। इस आदेश का पालन न करने वाले सीओ, राजस्व कर्मियों और राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।
१. शिकायतों की बाढ़:-
भूमि सुधार और राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि राज्य में भूमि संबंधी समस्याओं के लिए शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। जिन क्षेत्रों में दाखिल-खारिज के मामले अधिक लंबित हैं या बड़ी संख्या में आवेदनों को रद्द किया गया है, उन सभी क्षेत्रों की जांच की जिम्मेदारी संबंधित डीसीएलआर (भूमि सुधार अपर समाहर्ता) को सौंप दी गई है। इनकी रिपोर्ट राजस्व विभाग को भी सौंपनी होगी।
२. सख्त कार्रवाई के आदेश:-
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह द्वारा यह आदेश जारी किया गया है। उन्होंने राज्य के सभी डीसीएलआर के साथ पटना के गर्दनीबाग स्थित राजस्व निदेशालय के सभागार में समीक्षा की। इस अवसर पर विभागीय सचिव जय सिंह ने सभी डीसीएलआर को निर्देश दिया कि वे ऐसे क्षेत्रों की पहचान करें और निरीक्षण करें, तथा संबंधित सीओ और अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
३.बांका में 50 प्रतिशत आवेदन रद्द:-
समीक्षा के दौरान पता चला कि बांका जिले के चार क्षेत्रों में दाखिल-खारिज के 50 प्रतिशत से अधिक मामलों को निरस्त कर दिया गया है। इस मामले में बांका डीएम को सचिव ने जांच करने का निर्देश दिया है। अगर बिना सटीक कारण के आवेदन रद्द किए गए हैं तो संबंधित सीओ के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, दरभंगा और अन्य कुछ स्थानों की स्थिति भी अत्यंत खराब पाई गई है। इन सभी मामलों की जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश संबंधित
ई-मापी के मामलों में देरी का आरोप:-
समीक्षा में यह भी सामने आया कि ई-मापी के मामलों को भी सीओ स्तर पर काफी देरी से पास किया जा रहा है। इन आवेदनों को बिना कारण रद्द कर दिया जाता है, जबकि ई-मापी के आवेदनों को रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है। इन मामलों की भी जांच डीसीएलआर द्वारा करने का आदेश दिया गया है। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो सीओ और अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान जमीन विवाद से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए डीसीएलआर स्तर पर स्थापित राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन करने की सलाह दी गई है।