मुजफ्फरपुर में बाढ़ का कहर: 25 से अधिक गांव जलमग्न, 3 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित
नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण मुजफ्फरपुर की नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। गंडक, बूढ़ी गंडक और बागमती नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी हैं, जिससे औराई और कटरा प्रखंड के 25 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। करीब 3 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, और मजबूरन अपने घरों की छतों पर शरण ले रहे हैं।
रविवार को भास्कर के रिपोर्टर ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और वहां के लोगों से बातचीत की। बाढ़ के कारण बकुची, मोहनापुर पतारी, हमदमा, गंगिया, माधोपुर, भवानीपुर, बासाघट्टा, बभमगमा समेत कई गांवों के घरों में 4 फीट तक पानी भर गया है, जिससे लोग छतों पर रहने को मजबूर हैं। लोगों को घुटने और कमर तक पानी में चलना पड़ रहा है, वहीं मवेशियों के चारे की भी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
नावें ही अब इन गांवों के लोगों के लिए आवागमन का एकमात्र सहारा बन गई हैं। बागमती नदी का जलस्तर बढ़ने से कटरा प्रखंड में बकुची पीपा पुल के दोनों एप्रोच पथ जलमग्न हो गए हैं, जिससे गांव की सड़कों पर नाव चल रही है। लोग नाव से मवेशियों के लिए चारा लाने को मजबूर हैं।
बच्चों के चेहरों पर डर और चिंता साफ झलक रही है। रविवार को बागमती नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। कटौझा और बेनीबाद में नदियां खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए अधिकांश लोग ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, जबकि जिनके पास कोई विकल्प नहीं है, वे अपने घरों की छतों पर रह रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि अब तक प्रशासन से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है। तीन दिनों से घर में खाना नहीं बन सका है, क्योंकि पानी घरों में घुस गया है और बर्तन व चूल्हे तैर रहे हैं। बकुची से बकुची चौक तक 500 मीटर सड़कों पर दो से ढाई फीट पानी बह रहा है, जिससे लोग जान जोखिम में डालकर आने-जाने को मजबूर हैं।
ग्रामीण रमेश कुमार ने बताया कि शनिवार रात को पानी अचानक बढ़ गया, जिससे घर में पानी घुस गया और पूरा परिवार चौकी पर शरण लिए हुए है। वहीं खाना भी वहीं बन रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया गया है और राहत कार्य जल्द शुरू होगा।