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गंगा और गंडक नदियों में उफान, जलस्तर खतरे के निशान से 6 सेमी ऊपर

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गंगा का फिर उग्र रूप, बाढ़ का खतरा बढ़ा

गंगा का बढ़ता जलस्तर एक बार फिर बाढ़ की आशंका को बल दे रहा है। गंगा की तीव्र वृद्धि ने गंडक नदी में भी उफान ला दिया है, जिससे तेरसिया क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। दोनों नदियों का पानी तेजी से निचले इलाकों में फैल रहा है, जिससे कोनहारा घाट की सीढ़ियां डूब चुकी हैं और अन्य घाट भी पानी से लबालब हो गए हैं। गंगा और गंडक का जलस्तर तेजी से चेतावनी बिंदु की ओर बढ़ रहा है।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, लालगंज में गंडक नदी का जलस्तर शुक्रवार शाम 5 बजे तक खतरे के निशान से 6 सेंटीमीटर ऊपर था। हाजीपुर में भी गंडक का जलस्तर चेतावनी बिंदु से मात्र 10 सेंटीमीटर नीचे था, जबकि खतरे के निशान से 2.6 मीटर दूर था। जलस्तर में वृद्धि आधे सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से हो रही है, जिससे गंगा का पानी देर रात तक चेतावनी स्तर को पार कर सकता है।

46 किलोमीटर लंबा बांध तीन स्थानों पर संवेदनशील

वैशाली जिले में गंडक नदी के क्षेत्र में रामदौली, खंजाहाचक और बलहा वसंता के तीन स्थान संवेदनशील घोषित किए गए हैं। इन स्थानों पर 46.4 किमी से 83.4 किमी के बीच आवश्यकतानुसार बालू भरे बोरे और बाढ़ नियंत्रण सामग्रियों का भंडारण किया गया है। इसके साथ ही पूरे बांध पर गश्त बढ़ा दी गई है।

बाढ़ की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। बाढ़ नियंत्रण विभाग ने लालगंज से हाजीपुर, बिदुपुर और महनार तक निगरानी बढ़ा दी है। कार्यपालक अभियंता मुरारी कुमार ने बताया कि तटबंध पर लगातार नजर रखी जा रही है और उसे सुरक्षित रखने के सभी उपाय कर लिए गए हैं। बालू भरे लगभग 50,000 बैग तैयार रखे गए हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर तटबंध की मरम्मत की जा सके।

नियमित रूप से अभियंताओं द्वारा बांध पर नजर

बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण पदाधिकारी ने बताया कि गंगा और गंडक नदी के मिलान बिंदु से लेकर हसनपुर बॉर्डर तक गंगा के बाएं चैनल का किनारा और राघोपुर दियारा में तटबंध रहित क्षेत्र का प्रबंधन इस प्रमंडल के अधीन है। गंगा नदी में बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न स्थानों पर बालू भरे बोरे और बाढ़ नियंत्रण सामग्रियों का भंडारण किया गया है।

मोटरबोट की भौतिक जांच के निर्देश

आपदा विभाग ने बाढ़ के लिए आवश्यक तैयारी के तहत मानव दवा, हैलोजन टैबलेट, ब्लीचिंग पाउडर, मोबाइल मेडिकल टीम, पशु चारा, शुद्ध पेयजल, जनरेटर सेट, टेंट, लाइफ जैकेट और मोटरबोट जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सभी अंचल अधिकारियों को स्लुइस गेट की जांच और उसकी ग्रीसिंग व ऑयलिंग कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। एसडीआरएफ को सभी उपलब्ध मोटरबोट की भौतिक जांच के निर्देश दिए गए हैं।

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