PK ने 2021 में बनाई थी जनसुराज की योजना: विशेषज्ञों का दावा- NDA से ज्यादा तेजस्वी को होगा नुकसान
प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा: कांग्रेस से अलग होकर जनसुराज की नींव तक
तारीख थी 2 मई 2021, जब पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के नतीजों के तुरंत बाद प्रशांत किशोर ने अचानक टीवी पर आकर यह घोषणा की कि वह राजनीतिक रणनीतिकार की भूमिका से अलग हो रहे हैं। उनकी कंपनी I-PAC अब उनकी टीम संभालेगी, और वे खुद किसी नए प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
फिर, अप्रैल 2022 में प्रशांत किशोर दिल्ली के 10 जनपथ पहुंचे, जिसके बाद चर्चाएं शुरू हो गईं कि वे कांग्रेस जॉइन करेंगे या फिर पार्टी के पुनरुद्धार का काम करेंगे। लेकिन 25 अप्रैल तक साफ हो गया कि न कांग्रेस को प्रशांत किशोर का प्रस्ताव पसंद आया और न ही प्रशांत को कांग्रेस का ऑफर। यहीं से शुरू हुआ बिहार में उनकी नई पार्टी ‘जनसुराज’ के गठन का सफर।
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के कई राज्यों के नेताओं को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाया, लेकिन अब वे बिहार में अपनी पार्टी ‘जनसुराज’ की आधिकारिक घोषणा करने जा रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस के ढांचे को पुनर्जीवित करने की कोशिश की थी, लेकिन जब यह प्रयास असफल हुआ, तो उन्होंने बिहार में अपने संगठन को खड़ा करने का निर्णय लिया।
कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में एक व्यापक सुधार योजना बनाई थी। उन्होंने पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रेजेंटेशन भी दिया। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें फ्री हैंड देने से मना कर दिया, जिसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार लौटकर अपने संगठन की स्थापना की।
जनसुराज का उद्देश्य और संरचना
प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी पार्टी पुराने कांग्रेस मॉडल की तरह लोकतांत्रिक तरीके से चलेगी। हर साल नया अध्यक्ष चुना जाएगा और सालाना बैठक में अगले वर्ष के मुद्दों का चयन किया जाएगा। प्रशांत किशोर का कहना है कि जब 100-150 साल पहले यह मॉडल काम कर सकता था, तो आज भी इसे लागू करना संभव है।
राजनीतिक स्वच्छता का संघर्ष
राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई का मानना है कि प्रशांत किशोर का सफर चुनौतीपूर्ण है। वे राजनीति में स्वच्छता और सैद्धांतिकता लाने का प्रयास कर रहे हैं, जो आज के समय में मुश्किल है। किदवई के अनुसार, जिस माहौल में चुनाव लड़ना महंगा है, वहां सुराज लाना आसान नहीं है।
तेजस्वी यादव के लिए चुनौती
पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरुण पांडे के मुताबिक, प्रशांत किशोर का उद्देश्य नीतिश कुमार को सत्ता से बेदखल करना और तेजस्वी यादव को रोकना है। प्रशांत किशोर दलित नेता को जनसुराज का पहला अध्यक्ष बना रहे हैं और बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। इससे तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
अफाक आलम की जीत और जनसुराज का भविष्य
जनसुराज की घोषणा के बाद अफाक आलम जैसे नेता प्रशांत किशोर के साथ जुड़े। पीके के समर्थन से ही अफाक आलम एमएलसी बने थे। जनसुराज के साथ कई नेता जैसे पूर्व आईपीएस आरके मिश्रा और मुनाजिर हसन भी जुड़ चुके हैं, जो संगठन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
इस प्रकार, प्रशांत किशोर ने बिहार में जनसुराज के माध्यम से अपनी नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की है, जो आने वाले समय में राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।