लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बिहार को लेकर अब तक इतनी गंभीरता से सक्रिय नहीं दिखे, जितने हाल के दिनों में नजर आ रहे हैं। पिछले 18 दिनों में उन्होंने दो बार बिहार का दौरा किया, जिसमें उन्होंने संविधान बचाने और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस अब बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है।
बिहार में कांग्रेस की नई रणनीति
राहुल गांधी की बढ़ती सक्रियता यह दिखाती है कि पार्टी इस बार बिहार को गंभीरता से ले रही है। हालांकि, कांग्रेस ने चुनावी रणनीति के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर भरोसा जताया है, लेकिन पार्टी अपने दम पर भी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस की बिहार इकाई (BPCC) ने पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के समर्थन को मजबूत करने के लिए ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ अभियान शुरू करने की घोषणा की है। BPCC मीडिया प्रमुख राजेश कुमार राठौड़ ने बताया कि पार्टी मुख्य रूप से संविधान की रक्षा और वंचित समाज की शासन में भागीदारी सुनिश्चित करने के एजेंडे पर काम कर रही है। राहुल गांधी का भी मानना है कि सिर्फ प्रतिनिधित्व से ओबीसी, दलितों और आदिवासियों की स्थिति नहीं बदलेगी, बल्कि उनकी भागीदारी भी जरूरी है।
RJD-कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर असहमति?
वरिष्ठ कांग्रेस नेता किशोर झा के अनुसार, RJD कांग्रेस को 30-35 सीटों तक सीमित रखना चाहती है, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी। कई RJD नेताओं ने खराब प्रदर्शन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पार्टी का दावा है कि 2020 में उसे कमजोर सीटें आवंटित की गईं।
प्रियंका गांधी की बिहार में एंट्री की तैयारी?
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया कि प्रियंका गांधी वाड्रा को बिहार की राजनीति में उतारने की तैयारी चल रही है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी शाहनवाज आलम उत्तर बिहार के कई जिलों में अभियान चला रहे हैं, जहां पार्टी के कई पुराने नेताओं को फिर से सक्रिय किया जा रहा है।
राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व की बढ़ती सक्रियता
AICC सचिव चंदन यादव ने बताया कि राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य शीर्ष नेता आने वाले दिनों में बिहार के और दौरे करेंगे। कांग्रेस अब RJD के साए से बाहर निकलकर राज्य में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश कर रही है।
बिहार में कांग्रेस की यह बढ़ती सक्रियता क्या महागठबंधन के भीतर नए समीकरणों का संकेत है या फिर पार्टी खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है? यह आने वाले चुनावों में साफ हो जाएगा।