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समस्तीपुर में न्याय की मांग को लेकर वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने उठाए सवाल

mukesh sahni

समस्तीपुर में न्याय की मांग को लेकर वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने उठाए सवाल

समस्तीपुर जिले में एक दर्दनाक घटना के बाद न्याय की प्रतीक्षा कर रहे पीड़ित परिवार को सहारा देने के लिए वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने जिला पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि समस्तीपुर के आरक्षी अधीक्षक (एसपी) पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के बजाय, अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं और मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या है घटना ? 

बीते 25 अप्रैल को समस्तीपुर जिले के खानपुर प्रखंड में कांग्रेस साहनी की पुत्री सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई। इस मामले में पीड़ित परिवार ने काफी संघर्ष के बाद पुलिस से एफआईआर दर्ज करवाई, लेकिन कई हफ्तों बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मुकेश साहनी ने मीडिया को बताया कि पुलिस प्रशासन जानबूझकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है।

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एसपी पर लगे गंभीर आरोप

मुकेश साहनी ने सीधे तौर पर समस्तीपुर के एसपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपराधियों के साथ मिलकर मामले को दबाने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार एसपी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही इस संवेदनशील मामले पर कोई प्रतिक्रिया दी। साहनी ने सवाल उठाया – “आखिर एसपी साहब आरोपियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? क्या पुलिस का कर्तव्य पीड़ितों को न्याय दिलाना नहीं है?”

पुलिस प्रशासन पर उठते सवाल

इस घटना ने एक बार फिर बिहार में पुलिस व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। मुकेश साहनी ने कड़े शब्दों में कहा – “बिहार में पुलिस अब जनता की रक्षक नहीं, बल्कि भक्षक बन चुकी है। अगर पीड़ित परिवार को 15 दिनों के अंदर न्याय नहीं मिलता, तो पूरा निषाद समाज जिला पुलिस मुख्यालय का घेराव कर आंदोलन करेगा।”

समाज के साथ खड़े हुए नेतृत्वकर्ता

इस मामले में मुकेश साहनी के साथ उनके सहयोगियों ने भी पीड़ित परिवार का साथ दिया। इस मौके पर पार्टी के कई प्रमुख कार्यकर्ता मौजूद थे, जिनमें श्री उमेश साहनी, आदर्श पिंटू, पुष्प साहनी, अजय साहनी, संजय साहनी, संतोष चौधरी, मतेश पासवान, विपत साहनी, जशवंत साहनी, ओमप्रकाश साहनी, रौशन साहनी, परशुराम साहनी, पिंकी साहनी, सांगीता कुमारी और रंजीत साहनी शामिल थे। इन सभी नेता-कार्यकर्ताओं ने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए दबाव बनाने का संकल्प लिया।

निष्कर्ष: न्याय की मांग और सिस्टम में बदलाव की जरूरत

यह घटना न केवल समस्तीपुर, बल्कि पूरे बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अगर पुलिस प्रशासन ऐसे संवेदनशील मामलों में लापरवाही बरतता रहा, तो आम जनता का विश्वास पूरी तरह से टूट सकता है। मुकेश साहनी और उनके साथियों का यह आंदोलन न्याय की मांग के साथ-साथ पुलिस सुधारों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और क्या पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिल पाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो जनता का आक्रोश और बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर आंदोलन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

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