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तेजस्वी यादव का बड़ा आरोप: बिहार में शराबबंदी पुलिस-प्रशासन के भ्रष्टाचार का ‘काला धंधा’ बन गई!

बिहार में शराबबंदी को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव लगातार आरोप लगा रहे हैं कि सरकारी नीति के बावजूद शराब की “होम डिलीवरी” हो रही है। तेजस्वी यादव के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक विस्तृत पोस्ट शेयर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि बिहार में शराबबंदी सिर्फ दिखावा है और अवैध शराब का धंधा जारी है।

पोस्ट का मुख्य आरोप:

  1. “शराबबंदी फेल, होम डिलीवरी जारी” – राजद का कहना है कि नीतीश सरकार के दावों के उलट, शराब की तस्करी और अवैध बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है।
  2. “पुलिस-प्रशासन मिलीभगत” – विपक्ष का आरोप है कि अधिकारी और नेताओं के बीच सांठगांठ से शराब का कारोबार चल रहा है।
  3. “नशे की लत से मौतें जारी” – तेजस्वी यादव ने दावा किया कि अवैध शराब के कारण हाल में कई मौतें हुई हैं, लेकिन सरकार आंकड़े छुपा रही है।
  4. “शराब माफिया को संरक्षण” – पोस्ट में कहा गया कि बड़े तस्करों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि गरीबों को ही सजा मिल रही है।

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राजद की मांग:

  • शराबबंदी नीति की स्वतंत्र जांच
  • अवैध शराब तस्करी में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई
  • पीड़ित परिवारों को मुआवजा

सरकार का रुख:

नीतीश सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि शराबबंदी से अपराध और दुर्घटनाओं में कमी आई है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि सरकार “आंकड़े छिपा रही है” और जमीनी हकीकत अलग है।

क्या हो सकता है आगे?

  • यह मुद्दा बिहार की राजनीति में गर्माहट ला सकता है, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले।
  • अगर विपक्ष सबूतों के साथ दबाव बनाता है, तो सरकार को जवाब देना पड़ सकता है।

आपकी राय?
क्या बिहार में शराबबंदी सच में फेल हो चुकी है? या फिर विपक्ष सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए मुद्दा उछाल रहा है? अपनी राय कमेंट में शेयर करें!

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