तेजस्वी ने छोड़ी क्रिकेट, चिराग ने किया फिल्मों से किनारा: बिहार की राजनीति के 5 उभरते युवा नेता
बिहार की राजनीति का भविष्य अब युवा नेताओं के हाथों में है, जहां तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, संतोष सुमन, मुकेश सहनी और प्रशांत किशोर जैसे नेता तेजी से उभर रहे हैं। इनमें से तेजस्वी, चिराग और संतोष को राजनीति विरासत में मिली, जबकि मुकेश सहनी और प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पहचान खुद बनाई है।
तेजस्वी यादव ने क्रिकेट छोड़ राजनीति में कदम रखा, चिराग पासवान ने फिल्मी दुनिया को अलविदा कहा, संतोष सुमन शिक्षाविद् थे, मुकेश सहनी फिल्मों में सेट डिजाइनिंग करते थे, और प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई। ये पांचों नेता 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं, जहां उनका लक्ष्य बिहार की सत्ता पर काबिज होना या महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है।
तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को सबसे बड़ी पार्टी बनाया, लेकिन कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण सरकार नहीं बना सके। 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की 9 सीटों की जीत उनकी नेतृत्व क्षमता को दिखाती है। अब 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में वे नए चुनावी वादे और रणनीतियां बना रहे हैं, जैसे कि मिथिलांचल डेवलपमेंट ऑथोरिटी और बिजली के मुद्दे।
चिराग पासवान, जो पहले फिल्मों में थे, ने राजनीति में प्रवेश करके अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाया। 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी ने जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया। एनडीए में रहते हुए उन्होंने हाजीपुर लोकसभा सीट हासिल की और लोकसभा चुनाव में 5 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई।
मुकेश सहनी, जिन्हें “सन ऑफ मल्लाह” के नाम से जाना जाता है, ने निषाद समुदाय के लिए एसटी आरक्षण की मांग को लेकर अपनी पार्टी वीआईपी बनाई। वे बीजेपी और महागठबंधन दोनों के साथ काम कर चुके हैं, लेकिन 2020 के चुनाव के बाद उनकी पार्टी कमजोर पड़ गई। हालाँकि, 2024 के चुनावों में वे तेजस्वी यादव के साथ नजर आए।
प्रशांत किशोर, जो चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं, अब अपनी पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वे बिहार में व्यापक जनाधार बनाने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं और अपनी रणनीति के माध्यम से 2025 के चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
संतोष सुमन, जिन्हें अपने पिता जीतन राम मांझी की राजनीतिक विरासत मिली, अब हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे बिना चुनाव लड़े मंत्री बनने में सफल रहे हैं और 2024 के चुनावों में भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
इन पांचों नेताओं की अगुवाई में बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हो रही है, जहां 2025 का चुनाव यह तय करेगा कि इनमें से कौन सबसे प्रभावशाली और ताकतवर नेता बनकर उभरता है।