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PM मोदी ने UCC को लालकिले से क्यों कहा ‘सेकुलर संहिता’? सोशल मीडिया पर मचा बवाल!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के पक्ष में बात की। उन्होंने भाजपा के मुख्य मुद्दों में से एक, यूसीसी पर जोर देते हुए कहा कि अब देश को इसकी आवश्यकता है। परंतु, इस बार उन्होंने इसे एक नया नाम देते हुए “सेकुलर कोड” कहा। पीएम मोदी ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों का संदर्भ लिया और इस मुद्दे पर देशव्यापी गंभीर चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “देश का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि वर्तमान नागरिक संहिता वास्तव में सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण है। मैं चाहता हूँ कि इस पर गंभीर चर्चा हो और हर व्यक्ति अपनी राय रखे।”

पीएम मोदी ने कहा, “वे कानून जो धर्म के आधार पर देश को विभाजित करते हैं और सामाजिक असमानता को बढ़ावा देते हैं, उनका आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है। अब समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो।” अब सवाल उठता है कि भाजपा, जो हमेशा से यूसीसी के प्रति आक्रामक रही है और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इसे लागू करने की कोशिश कर रही है, को प्रधानमंत्री मोदी ने नया नाम क्यों दिया?

विशेषज्ञों का मानना है कि नई शब्दावली का उपयोग करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष को बेनकाब करने की कोशिश की है। अक्सर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, एनसीपी जैसे विपक्षी दल धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं। ऐसे में, समान नागरिक संहिता को “सेकुलर संहिता” कहते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष को यह सवाल उठाने पर मजबूर किया कि जो दल धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं, वे इस पर चुप क्यों हैं। सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की बहस को भी उन्होंने एक नया मोड़ दिया है। विपक्ष का आरोप रहा है कि भाजपा इस मुद्दे को एक समुदाय को लक्षित करने के लिए उठाती रही है। अब जबकि भाजपा ने यूसीसी का नाम बदलकर “सेकुलर संहिता” कर दिया है, तो विपक्ष के लिए इसे सांप्रदायिक कहना कठिन हो जाएगा।

भाजपा के तीन प्रमुख मुद्दे रहे हैं—पहला राम मंदिर, दूसरा आर्टिकल 370 और तीसरा समान नागरिक संहिता। भाजपा ने केंद्र में अपने 10 साल के शासन में राम मंदिर और आर्टिकल 370 के एजेंडे को पूरा कर लिया है। भले ही राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हो रहा है, लेकिन इसका श्रेय लेने से भाजपा पीछे नहीं हटती है। अब भाजपा समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहती है। उसे लगता है कि इससे उसका मुख्य वोट बैंक मजबूत होगा और मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया से ध्रुवीकरण भी होगा। अब जब पीएम मोदी ने लाल किले से ही इस मुद्दे को उठाया है, तो यह स्पष्ट है कि भाजपा इस मुद्दे पर और आक्रामक रुख अपनाएगी।

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