बिहार के लोगों को बेहतर हवाई यात्रा की सुविधा देने के लिए बिहटा में एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह परियोजना अब चुनौतीपूर्ण स्थिति में है। सर्फुद्दीनपुर गांव के लोग रनवे के लिए अपनी जमीन देने से साफ इनकार कर रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन अपने घर और जमीन नहीं छोड़ेंगे। इस गांव में शरावती शाह की मजार है, जिससे गांववालों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। मुआवजे की पेशकश के बावजूद भी लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
दैनिक भास्कर की टीम ने सर्फुद्दीनपुर गांव का दौरा किया और वहां के निवासियों से बातचीत की। गांव के लोगों ने बताया कि उनकी धार्मिक आस्था शरावती शाह की मजार से जुड़ी हुई है, और यही कारण है कि वे जमीन देने के खिलाफ हैं। गांव के निवासी शहाबुद्दीन कासमी ने बताया कि ‘शरीफुद्दीन याहिया मनेरी मखदूम’ साहेब मनेर शरीफ से इस गांव में आकर इबादत करते थे, जिससे इस मजार का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
फराज अहमद, जो शर्फ वेलफेयर सोसाइटी के उपाध्यक्ष हैं, ने बताया कि पहले भी गांव की तीन जगहों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उसका मुआवजा अब तक नहीं मिला है। ऐसे में नए अधिग्रहण से लोग डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा करती है तो वे सड़कों पर उतर आएंगे।
गांव के अन्य निवासियों ने भी अपनी चिंताओं को साझा किया। रहमतुल्लाह खान ने कहा कि उनके गांव को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है और अब लोगों को अपने घरों को लेकर चिंता सताने लगी है। अब्दुल मतीन ने बताया कि गांव के लोग गरीब और मजदूर वर्ग के हैं, और अगर उनकी जमीन चली जाती है तो उनके पास जीविका का कोई और साधन नहीं बचेगा।
वहीं, कोड़हर गांव के लोग, जो सर्फुद्दीनपुर के पास ही है, जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन उनकी कुछ शर्तें हैं। उन्होंने मांग की है कि 1 एकड़ जमीन के बदले 1 सरकारी नौकरी दी जाए और मुआवजे की राशि एकमुश्त दी जाए।
पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि रनवे की लंबाई बढ़ाने के लिए एक सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जो जमीन अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव देगी। साथ ही, वैकल्पिक जमीन की भी तलाश जारी है, ताकि इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सके।