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पहलगाम हमले पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का हृदयस्पर्शी संदेश

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र में सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भावुक होकर कहा, “एक मेजबान के रूप में मैं इन सैलानियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था। इनके परिवार वालों से मैं किस मुंह से माफी मांगू? मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि “जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार पर नहीं है, लेकिन मैं मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री होने के नाते इन्हें यहां आने के लिए आमंत्रित करता हूं। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि इन्हें सुरक्षित घर भेजूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया।”

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“उन बच्चों को क्या जवाब दूंगा जिन्होंने अपने पिता को खून में लथपथ देखा?”

मुख्यमंत्री ने दर्द भरे शब्दों में कहा, “मैं उन मासूम बच्चों को क्या जवाब दूंगा, जिन्होंने अपने पिता को जख्मी हालत में देखा? उस नौसेना अधिकारी की नवविवाहित पत्नी को क्या कहूंगा, जिसकी शादी को अभी कुछ ही दिन हुए थे? कुछ पर्यटकों ने मुझसे पूछा—‘हमारा क्या कसूर था? हम तो पहली बार कश्मीर की खूबसूरती देखने आए थे।’ इस छुट्टी की कीमत उन्हें जिंदगी भर चुकानी पड़ेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यकीन नहीं होता कि कुछ दिन पहले हम इसी सदन में बजट पर चर्चा कर रहे थे। सत्र स्थगित होने के समय हम सब यही सोच रहे थे कि अगली बैठक श्रीनगर में होगी। किसने सोचा था कि हमें इस तरह के दुखद हालात में फिर से यहां इकट्ठा होना पड़ेगा?”

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“हम सबने अपनों को खोया है, लेकिन आज का दर्द अलग है”

सदन को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “स्पीकर साहब, आपके आसपास बैठे वे सदस्य हैं, जिन्होंने अपने ही परिवार के सदस्यों को आतंकवाद की भेंट चढ़ते देखा है। हममें से कई ऐसे हैं, जिन पर खुद हमले हुए हैं। हम चाहते हैं कि इस सदन की तरफ से इस घटना की कड़ी निंदा की जाए और मृतकों के 26 परिवारों के साथ पूरी एकजुटता दिखाई जाए।”

“यह हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि कश्मीरियत पर हमला है”

विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि “यह आतंकी हमला केवल निर्दोष लोगों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की सद्भावना, देश की एकता और शांति पर सीधा प्रहार है।” सदन ने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और उनके दुःख में शामिल होने का संकल्प लिया।

इसके अलावा, विधानसभा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा हमले के बाद दिखाए गए साहस, एकजुटता और मानवीय सहयोग की सराहना की। प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया कि पूरे प्रदेश में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुए और स्थानीय लोगों ने पर्यटकों को हर संभव सहारा दिया।

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“देशभर में कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए”

विधानसभा ने देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अपील की कि वे कश्मीरी छात्रों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही, उनके खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव या हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

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पाकिस्तान के खिलाफ केंद्र के कदमों को मिला समर्थन

यह सत्र विशेष रूप से पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए बुलाया गया था। सत्र की शुरुआत में सदस्यों ने मृतकों की याद में दो मिनट का मौन रखा। विधानसभा ने केंद्र सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों का भी समर्थन किया।

इसके अलावा, उन टट्टू वाले सैयद आदिल हुसैन शाह को भी श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने पर्यटकों को बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी।


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