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जाति जनगणना के पक्ष में चिराग पासवान: एक शर्त के साथ दी सहमति, यूसीसी पर भी की चर्चा

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने देश भर में जाति जनगणना कराने का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने इसमें एक शर्त भी रख दी है। चिराग ने कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक न किए जाएं, इससे समाज में विभाजन पैदा होगा। जाति जनगणना कराकर इसके आंकड़े सरकार को अपने पास ही रखने चाहिए। लोजपा रामविलास के प्रमुख पासवान ने एक देश एक चुनाव और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर भी अपना और पार्टी का पक्ष रखा। चिराग पासवान ने शनिवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि जाति आधारित गणना अगली जनगणना का हिस्सा होना चाहिए। क्योंकि समुदाय आधारित विकास योजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटन के लिए अक्सर विशिष्ट आंकड़ों की जरूरत होती है। साथ ही अदालतें भी कई बार विभिन्न जातियों की जनसंख्या के आंकड़े मांगती हैं। हालांकि, जातीय जनगणना के आंकड़े सरकार के पास ही रखे जाने चाहिए और सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा पिछले साल कराए गए जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक किए गए। अब राज्य में लोगों को कुल जनसंख्या में उनकी जातियों के प्रतिशत के आधार देखा जा रहा है। इससे समाज में बंटवारा होता है, इसलिए वह जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने और यूसीसी के बारे में एनडीए में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने यूसीसी पर अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक उनके सामने कोई ड्राफ्ट नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) देशभर में एक साथ चुनाव कराने का पुरजोर समर्थन करती है।

यूसीसी पर बोलते हुए चिराग ने कहा कि इसे लेकर बहुत सारी चिंताएं हैं। भारत विविधताओं वाला देश है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में भाषा, संस्कृति से लेकर जीवनशैली तक, सब कुछ अलग-अलग हैं। ऐसे में आप सभी को एक छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं, यह सवाल बना हुआ है। इसलिए जब तक यूसीसी का ड्राफ्ट नहीं आता, तब तक वे इसपर कुछ नहीं बोल सकते हैं।

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