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कानून व्यवस्था या सत्ता व्यवस्था? बिहार की जनता क्यों महसूस कर रही है खुद को असुरक्षित?

सत्ता की सुरक्षा या जनता की सुरक्षा

बिहार की जनता आज भी सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रही है। हाल के घटनाक्रमों से साफ ज़ाहिर होता है कि प्रशासनिक तंत्र की प्राथमिकता आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय सत्ता के हितों को सुरक्षित रखना बन गई है। अपराधिक घटनाएँ बढ़ रही हैं, कानून का डर खत्म हो रहा है, और आम आदमी असहाय महसूस कर रहा है।

ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि क्या बिहार की सरकार जनता की सुरक्षा को गंभीरता से ले रही है, या फिर उसकी पूरी ऊर्जा सिर्फ़ सत्ता को बचाए रखने में खप रही है? जनता को न्याय और सुरक्षा मिले, यही किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

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