SAMASTIPUR

जिले में तेज बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

गुरुवार की दोपहर जिले में कई स्थानों पर तेज बारिश हुई। इस बारिश से शहर के कई इलाकों में पानी सड़कों पर भर गया। अस्पताल परिसर में भी पानी जमा होने से मरीजों और स्टाफ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, स्टेशन रोड पेट्रोल पंप और आर्य समाज रोड पर पानी धीरे-धीरे नाले से निकल रहा था, लेकिन मोहल्लों में नाले के गलत लेवल के कारण गलियों और घरों में पानी भर गया।

उत्तर बिहार में बारिश का अलर्ट जारी

उत्तर बिहार के जिलों में बारिश की संभावना अभी भी बनी हुई है। मौसम विभाग ने इन जिलों में कई जगहों पर बारिश, मेघ गर्जन और वज्रपात की चेतावनी दी है। शुक्रवार को राज्य के दक्षिण मध्य और दक्षिण पूर्व जिलों में मेघ गर्जन और वज्रपात की संभावना के चलते ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, तराई जिलों में भारी बारिश की संभावना को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। शनिवार को उत्तर मध्य और उत्तर पश्चिम बिहार में बारिश को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है। रविवार को पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के एक-दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना के चलते येलो अलर्ट जारी किया गया है।

पिछले 24 घंटे का मौसम अपडेट

गुरुवार को बीते 24 घंटों के दौरान जिले में 6.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इस दौरान अधिकतम तापमान 32.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 0.2 डिग्री अधिक था। न्यूनतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 0.4 डिग्री कम था। सुबह की सापेक्ष आर्द्रता 93 फीसदी और दोपहर में 96 फीसदी रही। इस दौरान 4.2 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चली।

किसान उन्नत बीज का करें चुनाव

धान की रोपाई और सीधी बुआई के लिए किसान उन्नत बीज का चुनाव करें। जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वहां किसान नीची और मध्यम जमीन में धान की रोपाई करें। यदि बिचड़ा उपलब्ध नहीं है, तो किसान कदवा करके वेट डीएसआर विधि से धान की सीधी बुआई करें। जहां हल्की बारिश हुई है और बिचड़ा उपलब्ध नहीं है, वहां अल्प और मध्यम अवधि वाले धान के बीज का डीएसआर विधि से बुआई करें।

खरपतवार नियंत्रण और उर्वरक का उपयोग

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 2-3 दिन बाद और एक सप्ताह के भीतर ब्यूटाक्लोर (3 लीटर दवा प्रति हेक्टेयर), प्रीटलाक्लोर (1.5 लीटर दवा प्रति हेक्टेयर) या पेन्डीमिथेलीन (3 लीटर दवा प्रति हेक्टेयर) का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में एक सेमी पानी की उपस्थिति होनी चाहिए। धान की रोपाई के समय उर्वरक का उपयोग मिट्टी जांच के आधार पर करें। यदि मिट्टी जांच नहीं कराई गई हो, तो मध्यम और लंबी अवधि की किस्मों के लिए 30 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो ग्राम फॉस्फोरस और 40 किलो ग्राम पोटाश का उपयोग करें।

इस मौसम में किसानों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी फसलों की सुरक्षा और बेहतर उपज के लिए सही तकनीकों और उर्वरकों का उपयोग करें। सही समय पर सही कदम उठाकर वे अपनी फसलों को बेहतर बना सकते हैं।

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