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EVM की विश्वसनीयता पर अमेरिकी सवाल, भारत सरकार और चुनाव आयोग क्यों हैं मौन?

EVM की विश्वसनीयता पर अमेरिकी सवाल, भारत सरकार और चुनाव आयोग क्यों हैं मौन?

तुलसी गबार्ड के बयान और भारत के चुनाव आयोग (ECI) की चुप्पी को लेकर उठाए गए सवाल वाजिब हैं, खासकर जब दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की सुरक्षा और पारदर्शिता पर बहस चल रही है।

चुनाव आयोग और सरकार की चुप्पी पर

  • कारणों की संभावना:
    • ECI का मानना है कि भारत की EVM प्रणाली (VVPAT सहित) अमेरिका या अन्य देशों से अलग है और इसे हैक नहीं किया जा सकता।
    • राजनीतिक आलोचना से बचने के लिए ECI अक्सर तकनीकी मुद्दों पर सीधे प्रतिक्रिया देने से बचता है, जब तक कि कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न हो।
    • सरकार की चुप्पी संभवतः इसलिए है क्योंकि ECI एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, और सरकार का सीधे हस्तक्षेप उचित नहीं माना जाएगा।
  • जवाबदेही का सवाल:
    ECI को सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए, क्योंकि अमेरिका जैसे देश से उठे सवालों से भारतीय मतदाताओं में संदेह पैदा हो सकता है। विशेषकर जब भारत में विपक्षी दलों द्वारा भी EVM को लेकर आरोप लगते रहे हैं।

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  1. ECI का “सूत्रों के माध्यम से” बयान क्यों?
  • यह ECI की रणनीति हो सकती है कि वह अनौपचारिक रूप से मीडिया के ज़रिए अपना पक्ष रखे, ताकि औपचारिक तौर पर विवाद को हवा न मिले।
  • हालाँकि, यह दृष्टिकोण पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है। मुख्य चुनाव आयुक्त को सार्वजनिक बयान देकर तकनीकी सुरक्षा उपायों (जैसे ऑफ़लाइन मशीनें, वोटर-वेरिफ़ायबल पेपर ऑडिट ट्रेल/VVPAT) का विस्तार से खंडन करना चाहिए।
  1. अमेरिका के बयान का भारत पर प्रासंगिकता
  • तुलसी गबार्ड का बयान अमेरिका केडीआईए (DIA) की रिपोर्ट पर आधारित है, जो वहाँ की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली को लेकर है। भारत की EVM प्रणाली अलग है:
    • भारतीय EVM इंटरनेट या नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होतीं।
    • VVPAT से हर वोट का भौतिक रिकॉर्ड मौजूद होता है, जिसकी गिनती चुनाव में होती है।
  • फिर भी, एकस्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय ऑडिट या सर्वदलीय समिति द्वारा जाँच से विश्वास बहाल हो सकता है।

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  1. सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
  • सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही EVM और VVPAT प्रणाली कोवैध ठहराया है (2019 में Subramanian Swamy v. ECI केस)।
  • हालाँकि, यदि नए सबूत या अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स सामने आती हैं, तो कोर्टस्वत: संज्ञान (Suo Motu) ले सकता है। विपक्षी दलों को इसके लिए याचिका दायर करनी चाहिए।
  1. आगे की राह
  • ECI को:
    • एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तुलसी गबार्ड के बयान का तकनीकी आधार पर खंडन करना चाहिए।
    • EVM की सुरक्षा को प्रदर्शित करने के लिएहैकाथॉन आयोजित करना चाहिए (जैसा 2017 में किया गया था)।
  • सरकार को:
    • संसद में इस मुद्दे पर चर्चा को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • नागरिक समाज को:
    • VVPAT की गिनती को बढ़ावा देने की मांग करनी चाहिए (वर्तमान में केवल 5% EVM की पुष्टि होती है)

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