पप्पू यादव के डॉक्टरों पर बयान से नाराज आईएमए, लोकसभा स्पीकर से की कार्रवाई की मांग, जानें पूरा विवाद
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद देशभर में चिकित्सकों का विरोध जारी है। 17 अगस्त को डॉक्टरों की हड़ताल पर सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर आईएमए ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और लोकसभा अध्यक्ष से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आईएमए की एक्शन कमेटी के संयोजक डॉ. अजय कुमार और राज्य सचिव डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि सांसद ने डॉक्टरों के खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण बयान दिया है, जो निंदनीय है।
आईएमए ने इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत कर सांसद पप्पू यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने का निर्णय लिया है। डॉ. अजय कुमार ने कहा कि डॉक्टरों ने केवल एक दिन के लिए ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया था, लेकिन वे जनता की सेवा में तत्पर रहेंगे।
सांसद पप्पू यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर विवादास्पद बयान दिया था, जिसमें उन्होंने सरकारी अस्पतालों में हड़ताल और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से अधिक शुल्क वसूले जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हड़ताल के कारण 12 लोगों की जान चली गई है। इसके अलावा, पप्पू यादव ने एक अन्य ट्वीट में आईएमए से पूछा कि क्या उन्होंने कोलकाता की घटना में शामिल डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई की है और हड़ताल के कारण हुई मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?
आईएमए ने सोमवार शाम को अपने बयान में पप्पू यादव के इन बयानों की कड़ी निंदा की और कहा कि वे लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। डॉ. अजय कुमार ने कहा कि पप्पू यादव को अपने भ्रामक बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए, और आईएमए इस मामले में कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है।
आईएमए सहरसा इकाई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसी झा ने इस मामले पर पप्पू यादव से फोन पर बातचीत की, जिसमें पप्पू यादव ने अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं जताया। उन्होंने आईएमए को पक्षपाती बताया और कहा कि जब डॉक्टरों की गलती होती है तो आईएमए चुप रहता है।
आईएमए की बिहार इकाई के सचिव डॉ. संतोष कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि पप्पू यादव सस्ती लोकप्रियता के लिए डॉक्टरों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ज्यादातर आपातकालीन सेवाएं चालू हैं और केवल ओपीडी बंद हैं, तो कैसे मरीज हड़ताल के कारण मर सकते हैं?
पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने बताया कि बिहार के 12 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से पटना एम्स अकेला ऐसा संस्थान था, जहां सोमवार को सभी विभागों में ओपीडी सेवाएं फिर से शुरू हुईं। कोलकाता की घटना के विरोध में अन्य सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में गैर-आपातकालीन सेवाएं सोमवार को भी बंद रहीं।